THE BASIC PRINCIPLES OF BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA

The Basic Principles Of baglamukhi shabar mantra

The Basic Principles Of baglamukhi shabar mantra

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अपने घर पर बनाएं रेस्तरां जैसा पनीर लबाबदार रेसिपी, जिसे चखकर...

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा॥

इस प्रकार के तमाम चमत्कारों को देखते हुए तंत्र साधना मे विशेष शत्रू को दण्ड देने के लिए इन मंत्रों की रचनाएं की और इनके प्रभाव भी विशेष प्रभाव शाली है। वहीं अगर अन्य तंत्र मंत्र की वात की जाये तव वह सब मत्रं और तंत्र ऋषि महर्षियों नें ही मंत्रों की रचनायें की है। तब से अब तक यह विशेष प्रभाव शाली है। नाथों में यह मत्रं शाबर मत्रं विशेष प्रभाव शाली है जो की बड़े से बड़े शत्रु संघारक प्रयोग करने में सक्षम है; शाबर मत्रं वाक़ई चमत्कारी है।



साबधान गुरू कृपा अत: दिक्षा के विना ये प्रयोग कतापी ना करें शत्रू दुबारा प्रत्यगरा , विपरीत प्रत्यंगरा आदि प्रयोग होने पर साघक को भयंकर छती का सामना करना पड़ सकता।

 इस मंत्र का प्रयोग आजमाने हेतु या निरपराधी व्यक्ति पर भूल कर न करें नहीं तो दुष्परिणाम भोगने ही पड़ जाता है।

“अयं हरिं बगलामुखी सर्व दुष्टानं वचं मुख पदं स्तम्भया

I meditate on Goddess Baglamukhi who could make the enemies motionless. Allow the strong goddess bless me with a clear sight.

Chanting the Baglamukhi mantra is considered auspicious Primarily on Tuesdays and Saturdays. The length of mantra chanting should be not less than 40 times. It is extremely imperative that you chant routinely during this period.

Hence, for those who’re at present struggling with any challenges in your lifetime of any variety, then this mantra is unquestionably manufactured for you personally. From time to time, one particular really should Feel outside of science and focus on forces and vibes.

Worshipping Ma Baglamukhi is a specific strategy to subdue and defeat your adversaries. The mantras, nonetheless, can only create lousy results if they are made use click here of with wicked intentions.

Baglamukhi Devi is considered among the list of ten Mahavidyas in Hinduism. She is particularly worshipped to manage enemies and safeguard speech. Chanting the Baglamukhi mantra minimizes the strength of enemies and liberates 1 from their affect.

ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर जगत के हित के लिए शाबर मन्त्र समूह की रचना की, जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है ।

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